सूरजकुंड मेला: गौरेया संरक्षण का संदेश दे रहे नारियल रेशे के घोंसले

 


सूरजकुंड मेला: गौरेया संरक्षण का संदेश दे रहे नारियल रेशे के घोंसले


गौरेया संरक्षण का संदेश दे रहे नारियल रेशे के घोंसले
फरीदाबाद। सूरजकुंड मेेले में नारियल रेशे से बने गौरेया के घोंसले अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। पर्यावरण प्रेमी भारी तादाद में इन घोंसलों को खरीदने के लिए उमड़ रहे हैं। इसी तरह देवदार की लकड़ी से बने घोंसले, मिट्टी-कांच और पत्थर के मिश्रण से तैयार होम डेकोर (गृह सज्जा) के उत्पाद मांग में हैं। सौ से दो हजार रुपये तक की खरीद में यह उत्पाद हर साइज और वैरायटी में मौजूद हैं।
करनाल की जनकल्याण समिति की ओर से लगाई गई स्टॉल नंबर 628 पर यह उत्पाद मौजूद हैं। स्टॉल संचालक मामचंद बताते हैं कि ईको फ्रेंडली (पर्यावरण मित्र) इन उत्पादों को 1200 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाता है। उन्होंने बताया कि करीब 25 साल पहले दोस्त से यह कला सीखी थी। वह प्लास्टर ऑफ पेरिस(पीओपी) की मूर्तियां बनाता था। मामचंद ने इससे एक कदम आगे चलकर पीओपी आर्ट को टेराकोटा मिक्स आर्ट का रूप दिया। इसमें वह मिट्टी के साथ कांच और पत्थर का इस्तेमाल कर सामान को वुडन वर्क का लुक देते हैं।
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कई राज्यों में दे चुके है गौरेया संरक्षण का संदेश
मामचंद बताते हैं कि होम डेकोर काफी डिमांड में है। इसी के साथ गौरेया संरक्षण व पर्यावरण हितैषी संदेश देने के लिए उन्होंने नारियल रेशे के बने घोंसले बनाए। इसकी डिमांड बल्क में आती है। कई राज्यों हिमाचल हैरिटेज मेला, पटियाला, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर और दक्षिण भारत में भी कर चुके हैं।